The best Side of Shodashi

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पद्माक्षी हेमवर्णा मुररिपुदयिता शेवधिः सम्पदां या

The Navratri Puja, For illustration, entails organising a sacred Room and carrying out rituals that honor the divine feminine, having a give attention to meticulousness and devotion that is definitely believed to carry blessings and prosperity.

हस्ते पङ्केरुहाभे सरससरसिजं बिभ्रती लोकमाता

Worshippers of Shodashi look for don't just content prosperity but also spiritual liberation. Her grace is claimed to bestow the two worldly pleasures as well as signifies to transcend them.

पद्मालयां पद्महस्तां पद्मसम्भवसेविताम् ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥२॥

She is a component of your Tridevi along with the Mahavidyas, symbolizing a spectrum of divine femininity and related to both of those delicate and fierce elements.

॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥

ह्रीङ्कारं परमं जपद्भिरनिशं मित्रेश-नाथादिभिः

करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?

ह्रीं ह्रीं ह्रीमित्यजस्रं हृदयसरसिजे भावयेऽहं भवानीम् ॥११॥

देवीं कुलकलोल्लोलप्रोल्लसन्तीं शिवां पराम् ॥१०॥

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर click here सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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